हाईकोर्ट का आदेश अधिकारियों के ठेंगे पर

हाईकोर्ट का आदेश अधिकारियों के ठेंगे पर हाईकोर्ट का आदेश अधिकारियों के ठेंगे पर कानूनगो ने एक लाख रुपए मांगी थी रिश्वत मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)राजस्व सम्बन्धी विवाद को सुलझाने में लेखपाल तहसीलदार एसडीएम कानूनगो यदि सक्रिय होते तो देवरिया के फतेहपुर जैसा नरसंहार नहीं होता,इतने बड़े नरसंहार के बाद भी अधिकारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।मामला मिर्जापुर जिले के धारा गांव के निवासी बृजलाल विश्वकर्मा पुत्र रामजी विश्वकर्मा का है जो विगत दशकों से रास्ते को लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेखपाल तहसीलदार एसडीएम डीएम सबके पास अपनी फरियाद लेकर दौड़ते दौड़ते थक गये इनके रास्ते का विवाद सुलझ नहीं पाया ,थक हार कर इन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया कि रास्ते पर अतिक्रमण करने वाले हरिचरन, राजेन्द्र, प्रेम,छोटू , पुत्र गण दासू निवासी धारा से रास्ते को खाली कराया जाये । हाईकोर्ट ने 02-02-2022 को यह आदेश दिया था जिसपर आपत्ति दायर की गई, आपत्ति को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 27-01-2022 को पुनः पुराना आदेश बरकरार रखते हुए आदेश जारी किया, परन्तु आज तक तहसीलदार एसडीएम डीएम लेखपाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।पीड़ित बृजलाल का कहना है कि कानूनगो नप्पी के लिए एक लाख रुपए रिश्वत मांगी थी लेकिन मैंने नहीं दिया । तहसीलदार ने रास्ते को अतिक्रमण के मामले में 26हजार रूपये हरिचरन, प्रेम, राजेन्द्र,छोटू पर जुर्माना भी लगाया है लेकिन इन लोगों ने न तो जुर्माना दिया न ही रास्ता खाली किया। प्रश्न यह है कि मिर्जापुर के जिलाधिकारी, एसडीएम, इस मामले को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे हैं,क्या किसी अप्रिय घटना का इंतजार कर रहे हैं। क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं। पीड़ित बृजलाल अब क्या करें, कहां जायें , पीड़ित का कहना है कि रास्ते का अतिक्रमण करने वाले मनबढ़ और दबंग है, महेन्द्र पटेल ने भी रास्ता रोक रखा है। पीड़ित को न्याय कैसे मिलेगा ,कब मिलेगा सबसे बड़ा प्रश्न उठता है।

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